छोटे बालकों के रोगी होने के कुछ कारण
आयुर्वेद ग्रंथों में बच्चों के रोगी होने के निम्न कारण बताए गए हैं—
- माताएँ बच्चे को जब अपना दूध नहीं पिलाती और गौ या अन्य किसी प्रकार के दूध पिलाती हैं , तो बालक रुग्ण हो जाता है ।
- बालक को अधिक या जल्दी - जल्दी दूध पिलाने से भी वह रोगग्रस्त हो जाता है ।
- माता की अजीर्णता की अवस्था में भी वह दूध पीकर बीमार हो जाता है ।
- अत्यंत गरम या अत्यंत ठंडा दूध पीने से बालक के शरीर में रोग हो जाते हैं ।
- आधी रात के लगभग दुग्धपान कराने से वह रोग युक्त हो जाता है ।
- माता के अपथ्य से भी दूध पीने वाला बच्चा दुखी रहता है । दुग्ध या अन्नभोजी बालक को मैदा का गरिष्ठ पदार्थ खिलाने से रोग युक्त होता है ।
- ठंडी खिचड़ी या चावल आदि पदार्थ खाने से रोग युक्त होता है ।
- मलिन वस्त्र पहनाए रखने तथा नित्य स्नान न कराने से भी बालक बीमार हो सकता है ।
- मिट्टी या खरिया आदि के खाने से भी बालक के उदर में रोग हो जाते हैं ।
- अधिक पौष्टिक पदार्थों का सेवन कराने से ।
- बच्चे को कम सोने देने से ।
- उसके मल - मूत्र की अच्छी तरह सफाई न होने से ।
- उसको ठीक समय पर दुग्ध आदि उनकी खुराक न मिल सकने से ।
- किसी बीमार से छूत की बीमारी लग जाने के कारण या अन्य रोगी बालकों का जूठा खाने से बालक बीमार हो जाता है ।
- बच्चे को हर समय गोद में लिए रहने से वह रोगी हो जाता है ।
- बालक को अधिक व मैले कपड़े पहनाने से उसका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है ।
- बुरे स्थानों में बच्चे के खेलने से ।
- खेलने के लिए टीन और रबर आदि के खिलौने देने से ।
- भोजन में चाय या बरफ देने से ।
- भयानक रूप देखने से अथवा भयानक शब्द सुनने से ।
- माता के अशुद्ध रहने से ।
- बच्चे के शरीर में तेल आदि की मालिश न करने से ।
- बच्चे को हर किसी स्त्री को खिलाने के लिए दे - देने के कारण भी उसके शरीर में रोग लग जाता है ।
- प्रायः देखा जाता है कि घर के काम - धंधे पूरे करने के लिए माताएँ बालक को अफीम या पोश्त का नशा कराके एक स्थान पर लिटा देती हैं जिससे घर के काम को वेखटके कर लेती हैं , किंतु इससे भारी हानि यह होती है कि बच्चा कभी ऐसे नशे में आ जाता है कि फिर कभी जगता नहीं , इसलिए उसे नशीली वस्तुओं से भी बचाना चाहिए ।
- बच्चे को खिलाने - पिलाने के बाद स्नान नहीं कराना चाहिए , इससे उसके रुग्ण हो जाने की आशंका है ।
- प्रत्येक वस्तु को जो भी पड़ी हुई दीख जाती हैं मुँह में दे लेने के कारण बच्चे के स्वास्थ्य में खराबी आ जाती है ।