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Morality: What is sacrament?(संस्कार क्या है?) -Alert Info Tech

  संस्कार 

 संस्कार ये नहीं सिखाता है कि किसी दुश्मन से अपशब्द सी  बातें करें । अपने वाणी से उनका दिल दुखाओं । बल्कि संस्कार तो ये सिखाता है कि - दुश्मन से भी ऐसी बात करो , जिससे उन्हें अपनी गलती और कमी का एहसास हो जाए और साथ - साथ उनकी मानसिकता में बदलाव भी आए । इस कदर वो आपकी बातों से प्रभावित हों ।
 सारांश यह है - अपनी बातों से दुश्मन का भी दिल जीत लो- " संस्कार यही सिखाता है ।" 
शिक्षा / संस्कार 
1. बच्चों के शिक्षा पर ध्यान देने से ज्यादा उन्हें संस्कार देने पर ज्यादा ध्यान दें क्योकि शिक्षा तो इंसान किसी भी उम्र में हासिल कर लेगा , लेकिन संस्कार नहीं । इसलिए बच्चों के पढ़ाई के पहले पाठ का शुरूआत- संस्कार से शुरू करनी चाहिए । 
2. जरूरी है , आज के समय में शिक्षा का पाना , लेकिन बिना संस्कार के शिक्षा बेकार है । शिक्षा का पाना जरूरी है इसलिए बच्चों को पढ़ाओ तो किसी संस्कार वाले मास्टर जी से ही पढ़ाओ कि शिक्षा के साथ - साथ बच्चों को संस्कार भी मिले ।
 3. जिनके पास शिक्षा हो , लेकिन संस्कार न हो तो उनकी वह शिक्षा ही उन्हें लोगों के सामने कभी भी लज्जित कर सकता है । 
इस बात का एहसास यह कहता है कि - संस्कार जरूरी है अगर शिक्षा को सम्मान दिलाना है तो । 
व्यवहार 
अच्छा व्यवहार : - समाज में अच्छा व्यवहार उन्हीं का माना जाता है , जो समाज के सभी लोगों का लिहाज व इज्जत , आदर और अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन सहनशीलता , संवेदनशीलता व कर्मठता के साथ करते हो एवं किसी को भी अपने गुवान या हरकत से क्लेश ( दु : ख ) देना - उनके मिजाज ( मानसिकता ) में न हो । 
1. जीने के लिए तो कोई भी किसी भी तरह जी लेगा । लेकिन समाज में इज्जत सम्मान के साथ जीने के लिए अच्छा व्यवहार का होना बहुत जरूरी है ।
2. इंसान का व्यवहार ही बता देता है कि कौन कितना मेधावी ( तेज ) या मन्द बुद्धि का है या कितना होशियार या बेवकुफ है । 
इसलिए हर इंसान को अपने व्यवहार का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए । 
3. पद की गरीमा व शोभा वही लोग बढ़ाते हैं , जिनका व्यवहार भी उसी स्तर का उच्च होता है । 
इसलिए अगर आप किसी ऊँचे व अच्छे पद या मुकाम को हासिल करने के प्रति सजग है प्रयासरत है तो , इसके साथ - साथ आप अपने व्यवहार को भी उसी कर्मठता के साथ उस स्तर का अगर हो सके तो उससे भी उच्च स्तर का बनाने के प्रति सजग व प्रयासरत रहें , अगर पद मिले तो पद की गरिमा को चार चाँद लगाने में , पद की शोभा को बढ़ाने में आपका बहुत बड़ा योगदान हो । 
4. सभी इंसान को अपने व्यवहार के प्रति सदा सजग रहना चाहिए , क्योंकि  व्यवहार ही किसी के दिल में प्यार या नफरत को जन्म देने का माध्यम होता है । 
बदतमीजी 
1. बदतमीज लोगों को कभी भी आप अपना हितैषी न समझें न बनाएँ । 
अगर उसकी कोई Help करो भी तो उससे उपकार या अपनत्व की भावना से नहीं बस इंसानियत की भावना से अपना कर्तव्य समझकर । 
2. बदतमीज इंसान से कोई भी समझदार इंसान तमीज से एक बार बात करता -बार - बार नहीं । 
घमण्ड 
1. इंसान को घमण्ड नहीं करना चाहिए । इसलिए की न वो कुछ लेकर आया है और न कुछ  लेकर जायेगा । 
जैसे खाली हाथ आया है वैसे ही खाली हाथ जाएगा । इसलिए इंसान को घमण्ड कभी नहीं करना चाहिए , कभी भी नहीं । 
2. घमण्ड इंसान के दिमाग में उसी वायरस की तरह होता है । जिस तरह मोबाइल के चिप्स में अगर वायरस भर जाए तो वो वायरस चिप्स कि सारी मेमोरी ( चिप्स में डाला गया सारा रिकॉर्ड को बर्वाद करके रख देता है । ) उसी तरह घमण्ड इंसान के इज्जत शोहरत को बर्बाद करके रख देता है । 
अगर जो इंसान अकड़कर चले , अकड़कर बात करे बड़े - छोटे का मान सम्मान करना छोड़े दे - तो समझ लो उस इंसान के अन्दर ( दिमाग में ) घमण्ड का वायरस असर कर चुका है ।
इसका एहसास उसे तब होता है जब God( ईश्वर) उसके घमण्ड के वायरस को फारमेट मारना शुरू करते हैं । उस दिन से उनके खराब दिन की शुरूआत होती है । 
जब घमण्ड का सारा वायरस निकल जाता है , तब जाकर उनका अक्ल ठिकाने लगता है । 
3. इंसान के अन्दर ज्यादा आत्मविश्वास आ जाने से भी इंसान घमण्डी हो जाता है । इसलिए घमण्ड से बचने के लिए अपने नकारात्मक पक्ष का भी ध्यान रखें और उसे दूर करने का सतत ( लगातार ) प्रयास करें । 
घमण्ड - सदाचार 
1. घमण्ड इंसान का सबसे बड़ा छुपा दुश्मन है । तो सदाचार इंसान का सबसे बड़ा घनिष्ठ दोस्त है । 
नम्रता - घमण्ड - जलन 
• किसी के नम्रता से हर इंसान खुश होता और घमण्ड से नफरत करता है । हमेंशा सुनने को मिलता है कि कामयाबी किसी और को मिलती है तो जलन किसी और को होता है । 
गलत बात है , जलन किसी को किसी से नहीं होता , नफरत होता है । नफरत उसके घमण्ड की वजह से होता है । 
लोग ये क्यों नहीं सोचते की कामयाबी मिली है तो थोड़ा नम्रता लाए । नम्रता नहीं लाते , बल्कि नम्रता की जगह घमण्ड में चूर हो जाते हैं ।
 लेकिन हाँ कुछ लोग होते हैं जलनशील जो हर किसी के कामयाबी से जलते ही रहते हैं । 
खैर , आपकी कामयाबी आपको तभी शोभा देगी , जब आपके पास नम्रता होगी ।

♦️मानसिकता में जरूरी बदलाव करते रहना स्वस्थ मस्तिष्क का प्रतीक है।♦️

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